OPS Pension Scheme Update:भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही है। जुलाई 2025 में यह आंदोलन और तेज हो गया है, जब देश के कई राज्यों में हजारों कर्मचारियों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि नई पेंशन योजना (NPS) भविष्य में वित्तीय असुरक्षा पैदा करती है, जबकि पुरानी योजना उनके लिए एक स्थायी और भरोसेमंद विकल्प थी।
क्या है पुरानी पेंशन योजना (OPS)?
पुरानी पेंशन योजना एक ऐसी सरकारी व्यवस्था थी, जिसमें कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनके अंतिम वेतन के आधार पर पेंशन मिलती थी। इस योजना में:
मासिक पेंशन की निश्चित राशि मिलती थी
महंगाई भत्ता समय-समय पर बढ़ता था
पूरी तरह सरकार द्वारा वित्तपोषित होती थी
कर्मचारी को पेंशन की राशि का अंदाज़ा पहले से होता था
2004 तक यह योजना सभी केंद्र और अधिकतर राज्य सरकारों के कर्मचारियों पर लागू थी।
नई पेंशन योजना (NPS) और कर्मचारी असंतोष
2004 के बाद सरकार ने पुरानी योजना को बंद कर नई पेंशन योजना (NPS) शुरू की। इस योजना में:
पेंशन राशि शेयर बाजार और कॉर्पोरेट बांड में निवेश की जाती है
रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि बाजार की स्थिति पर निर्भर करती है
कोई निश्चित मासिक पेंशन की गारंटी नहीं होती
भविष्य की आय को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है
कर्मचारियों का मानना है कि यह व्यवस्था उन्हें आर्थिक सुरक्षा नहीं देती, खासकर बुढ़ापे में जब स्थिर आय की जरूरत होती है।
जुलाई 2025 में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
इस साल जुलाई में कई राज्यों में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए:
मध्यप्रदेश में राज्य कर्मचारी महासंघ ने सरकार को अगस्त तक OPS बहाल न करने पर हड़ताल की चेतावनी दी है
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में शिक्षकों ने बड़ी संख्या में प्रदर्शन किया
उत्तराखंड, झारखंड, और ओडिशा जैसे राज्यों में भी मांगें तेज हो रही हैं
दिल्ली और पंजाब में भी कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर सरकार से जल्द निर्णय लेने की मांग की है
सरकार का रुख और आर्थिक पहलू
केंद्र सरकार का कहना है कि वह NPS में सुधार के लिए विचार कर रही है, लेकिन OPS की पूर्ण बहाली से सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। वित्त मंत्रालय का मत है कि:
OPS से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा
लंबे समय में यह व्यवस्था सरकार के लिए टिकाऊ नहीं है
कोई वैकल्पिक समाधान जैसे “गैर-हाजिरी बोनस” या “हाइब्रिड स्कीम” पर विचार किया जा सकता है
राजनीतिक और सामाजिक असर
विशेषज्ञों का मानना है कि OPS का मुद्दा आने वाले लोकसभा चुनाव 2026 में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। कई राज्य सरकारें पहले ही OPS लागू करने पर विचार कर चुकी हैं या आंशिक रूप से लागू कर चुकी हैं, जैसे राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, और झारखंड।
क्या फिर लौटेगी पुरानी पेंशन योजना?
OPS की मांग अब केवल एक नीतिगत बहस नहीं रह गई है, बल्कि यह एक जन आंदोलन का रूप ले चुकी है। कर्मचारियों का विश्वास है कि OPS उनके भविष्य की आर्थिक रीढ़ है। वहीं सरकार को भी चाहिए कि वह इस विषय पर ठोस और दीर्घकालिक समाधान निकाले, ताकि कर्मचारियों का भरोसा बना रहे और देश का वित्तीय संतुलन भी प्रभावित न हो