Bank Privatization:सरकार और एलआईसी (LIC) ने मिलकर IDBI बैंक के निजीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब यह बैंक पूरी तरह से निजी हाथों में जाने वाला है। इसका मुख्य उद्देश्य बैंक के प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाना और सरकारी हिस्सेदारी को कम करना है।
शेयर खरीद समझौते को मिली मंजूरी
इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप (IMG) ने हाल ही में IDBI बैंक के लिए शेयर परचेज एग्रीमेंट (SPA) को मंजूरी दी है। यह एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें यह तय होता है कि:
कौन खरीदार कितने शेयर खरीदेगा
कितनी कीमत पर सौदा होगा
किस समयसीमा में लेन-देन पूरा होगा
किन कानूनी शर्तों और जिम्मेदारियों का पालन करना होगा
इस समझौते से भविष्य में विवाद या नुकसान की संभावना बहुत कम हो जाती है।
सितंबर में शुरू होगी बिडिंग प्रक्रिया
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 के पहले सप्ताह में सरकार वित्तीय बोलियों (Financial Bids) को आमंत्रित कर सकती है। इससे पहले यह प्रस्ताव कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज़ (CGD) को भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलने के बाद ही निजी खरीदारों से अंतिम बिड मंगाई जाएगी।
सरकार और LIC के पास है ज़्यादातर हिस्सेदारी
फिलहाल, केंद्र सरकार और एलआईसी के पास IDBI बैंक की संयुक्त रूप से 94.72% हिस्सेदारी है। इसमें से सरकार अब 60.72% हिस्सेदारी बेचने जा रही है। यानी बैंक की मालिकाना हक अब पूरी तरह निजी क्षेत्र के हाथों में सौंप दी जाएगी।
सरकार को होगा बड़ा वित्तीय लाभ
विशेषज्ञों का मानना है कि इस डील से सरकार को करीब ₹40,000 करोड़ से ₹50,000 करोड़ की आमदनी हो सकती है। यह राशि सरकार की विनिवेश नीति का हिस्सा है और इससे सरकारी राजस्व में महत्वपूर्ण वृद्धि हो सकती है।
IDBI बैंक का निजीकरण क्यों जरूरी है?
सरकार के अनुसार, IDBI बैंक के निजीकरण के पीछे कई उद्देश्य हैं:
बैंक के प्रबंधन में तेजी और पारदर्शिता लाना
सरकारी वित्तीय बोझ को कम करना
बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
निजी निवेश को प्रोत्साहित करना
घाटे में चल रहे बैंक को नई दिशा देना
IDBI बैंक पिछले कुछ वर्षों से धीमी गति से चल रहा है और इसके प्राइवेटाइजेशन से इसे पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है।
शेयर बाजार में दिखा असर
IDBI बैंक के निजीकरण की खबर से शेयर बाजार में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली। बैंक के शेयरों में करीब 1% की बढ़त दर्ज की गई और शेयर ₹95.44 पर बंद हुआ। इससे निवेशकों में उत्साह बढ़ा है और प्राइवेटाइजेशन को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं।
आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
IDBI बैंक के निजीकरण की अगली प्रक्रिया इस प्रकार होगी:
कोर ग्रुप ऑफ सेक्रेटरीज़ से फाइनल मंजूरी
सितंबर में वित्तीय बोलियों का आमंत्रण
बिडिंग के आधार पर निजी खरीदार का चयन
कानूनी और तकनीकी प्रक्रिया पूरी करना
नए प्रबंधन को बैंक सौंपना
खाताधारकों के लिए क्या बदलने वाला है?
सबसे अहम सवाल यही है कि क्या खाताधारकों के पैसे सुरक्षित रहेंगे?
उत्तर है – हां। बैंक के निजीकरण से खाताधारकों के जमा पैसों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। RBI की निगरानी और बैंकिंग नियमों के तहत ग्राहकों की सुरक्षा पूरी तरह सुनिश्चित की जाएगी। इसलिए किसी को घबराने की जरूरत नहीं है।
बैंकिंग सेक्टर में बड़ा बदलाव
IDBI बैंक का निजीकरण सरकार की बड़ी आर्थिक नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक बैंकों को और प्रतिस्पर्धी बनाना है। यह फैसला लंबे समय में बैंक, खाताधारकों और सरकार – तीनों के लिए फायदेमंद हो सकता है, बशर्ते इसे पारदर्शिता और कुशलता से लागू किया जाए।