DA Merger January 2026:केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर सरकार ने पहली बार लोकसभा में आधिकारिक बयान दिया है। वित्त राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति तभी होगी जब इसे औपचारिक अधिसूचना के माध्यम से गठित किया जाएगा। हालांकि, इस बयान में कोई निश्चित तारीख या समयसीमा नहीं दी गई, जिससे कर्मचारियों में निराशा का माहौल है।
टर्म्स ऑफ रेफरेंस ही है सबसे बड़ी बाधा
सरकार ने रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों से सुझाव मांगे हैं ताकि आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) तैयार किए जा सकें। इन ToR में यह तय किया जाता है कि आयोग किन मुद्दों पर सिफारिश देगा – जैसे वेतन, भत्ते, पेंशन आदि। बिना इसके आयोग का गठन और काम शुरू नहीं हो सकता। यह एक जटिल प्रक्रिया है, जो कुछ महीनों तक चल सकती है।
कर्मचारियों की बढ़ती चिंता
जनवरी 2025 में आठवें वेतन आयोग की उम्मीद जगी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सातवां वेतन आयोग दिसंबर 2025 में समाप्त हो रहा है और महंगाई लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कर्मचारी संगठनों ने सरकार से जल्द से जल्द आयोग गठन और अंतरिम राहत देने की मांग की है।
DA मर्ज होगा या नहीं?
महंगाई भत्ता (DA) इस समय 50% के करीब है और जनवरी 2026 तक यह 70% तक पहुंच सकता है। आमतौर पर जब DA 50% के पार जाता है और नया वेतन आयोग लागू होता है, तो महंगाई भत्ते को मूल वेतन में जोड़ दिया जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि 2026 में ऐसा हो सकता है जिससे कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में बड़ी वृद्धि होगी।
प्रशासनिक तैयारी की धीमी रफ्तार
हालांकि सरकार ने अंडर सेक्रेटरी स्तर पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं, लेकिन अभी तक आयोग का सचिवालय या बुनियादी ढांचा तैयार नहीं हुआ है। सचिवालय के बिना आयोग अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर सकता, जिससे संकेत मिलता है कि सरकार तैयारियों में सुस्ती बरत रही है।
कार्यान्वयन की संभावित समयसीमा
विशेषज्ञों के अनुसार, आठवें वेतन आयोग का गठन अगर 2025 के अंत तक होता है, तो भी इसकी सिफारिशें 2027 या 2028 तक लागू हो सकती हैं। सातवां वेतन आयोग 2013 में बना था और 2016 में लागू हुआ था। इसी आधार पर कर्मचारियों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
वेतन में कितनी बढ़ोतरी संभव?
सातवें वेतन आयोग में 2.57 का फिटमेंट फैक्टर था, जिससे न्यूनतम वेतन ₹7000 से ₹18000 हुआ। आठवें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.86 से 3.68 के बीच हो सकता है। अनुमान के मुताबिक न्यूनतम वेतन ₹26000 से ₹51000 तक जा सकता है, जिससे कर्मचारियों की सैलरी में बड़ी बढ़ोतरी संभावित है।
राज्य सरकारों पर असर
केंद्र की सिफारिशें आमतौर पर राज्य सरकारें भी अपनाती हैं। लेकिन कई राज्य आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, इसलिए उनके लिए वेतन बढ़ोतरी का भार उठाना कठिन हो सकता है। सरकार ने राज्यों से सुझाव मांगे हैं ताकि सभी की राय के आधार पर संतुलित निर्णय लिया जा सके।
आगे की राह और सुझाव
कर्मचारियों को अभी धैर्य रखना होगा। सरकार पर दबाव बनाए रखना जरूरी है ताकि प्रक्रिया तेज हो। अंतरिम राहत की मांग भी जायज है, जो पहले वेतन आयोगों में दी गई थी। सरकार को चाहिए कि वह स्पष्ट रोडमैप तैयार करे ताकि कर्मचारियों में भरोसा बना रहे।
डिस्क्लेमर
यह लेख सरकारी बयानों और सार्वजनिक जानकारियों पर आधारित है। वेतन आयोग से जुड़े निर्णय पूरी तरह सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। कर्मचारी आधिकारिक अधिसूचनाओं का इंतजार करें और अफवाहों पर भरोसा न करें।
जनवरी 2026 तक DA मर्ज और वेतन बढ़ोतरी को लेकर उम्मीद तो है, लेकिन स्पष्टता नहीं है। सरकार को जल्द से जल्द प्रक्रिया पूरी कर कर्मचारियों को राहत देनी चाहिए। वहीं, कर्मचारियों को भी संगठित रहकर अपनी मांगें मजबूती से रखनी होंगी